म्यूजियम के बारे में

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इलाहाबाद संग्रहालय

इलाहाबाद संग्रहालय सिविल लाइन्स क्षेत्र के हरे-भरे कम्पनी बाग के नाम से प्रसिद्ध चन्द्रशेखर आजाद पार्क में स्थित है। यह प्रयाग, इलाहाबाद सिटी (रामबाग) तथा इलाहाबाद जंक्शन स्टेशन से लगभग तीन किलोमीटर तथा बमरौली हवाई अड्डे से 12 किलोमीटर की दूरी पर है। सन् 1863 में राजस्व परिषद द्वारा उत्तर पश्चिम प्रान्त की सरकार से पब्लिक लाइबे्ररी और एक संग्रहालय की स्थापना हेतु निवेदन किया गया। प्रान्तीय सरकार के अनुदान से प्रसिद्ध पुरालेख शास्त्री सर विलियम म्योर और महाराजा विजय नगरम को अधीक्षक पुस्तकालय एवं संग्रहालय के रूप में नियुक्त किया गया तथा 1878 ई. में आरनेट भवन को उद्घाटित कर एकत्रित संग्रह को रखा गया। 1881 ई. में अपरिहार्य कारणेों से संग्रहालय बंद हो गया। 1923-24 ई. में पं0 जवाहरलाल नेहरू, अध्यक्ष, इलाहाबाद म्यूनिसिपल बोर्ड द्वारा संग्रहालय को पुनः खोलने का उपक्रम बोर्ड के तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी पं0 बृजमोहन व्यास के निर्देशनों के अधीन प्रारम्भ हुआ और 1931 में म्यूनिसिपल भवन में संग्रहालय खुला। पं0 व्यास के अथक प्रयत्नों सें संग्रहालय के लिए महत्वपूर्ण संग्रहों का अधिग्रहण हुआ जिसमें भरहुत और भूमरा जनपद सतना, म0प्र0 का प्राचीन मूर्ति शिल्प है।

1942 ई. में एस.सी. काला, प्रथम क्यूरेटर ने संग्रहालय के संग्रहों की समृद्धि के लिए आवश्यक प्रसास किए, विशेषतया नेहरू के व्यक्तिगत संग्रह और बंगाल स्कूल आॅफ पेन्टिंग उल्लेखनीय है। स्थानाभाव के कारण यह निर्णय हुआ कि संग्रहालय को म्यूनिसिपल बोर्ड के भवन से कम्पनी बाग अथवा चन्द्रशेखर आजाद पार्क के वर्तमान भवन में स्थानान्तरित कर देना चाहिए। वर्तमान संग्रहालय भवन जिसे प्रयाग संग्रहालय कहा जाता था उसकी आधार शिला 14 दिसम्बर 1947 को पं0 जवाहरलाल नेहरू द्वारा रखी गई और 1954 में संग्रहालय जनसामान्य के लिए खोल दिया गया। कलाकृतियों के महत्त्वपूर्ण संग्रह को देखते हुए सितम्बर 1985 में संस्कृति विभाग, भारत सरकार द्वारा यह राष्ट्रीय महत्त्व की संस्था घोषित की गई। संग्रहालय की गतिविधियों को शासित करने हेतु समिति पंजीकरण अधिनियम 1960 के अन्तर्गत 6 सितम्बर 1985 को एक समिति अस्तित्व में आयी। यह पूर्णतः भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित है। राज्यपाल, उ.प्र. पदेन इलाहाबाद संग्रहालय समिति के अध्यक्ष हैं।

"Then one day he was shooting at some food and up through the ground came a bubbling crude oil that is so lets make the most of this beautiful day since we are together space the final frontier these are the voyage"

Antony Fernandez

ceo, design hub

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संग्रह

संग्रहालय में 16 वीथिकाएं हैं जिसमें विविध प्रकार के संग्रह हैं यथा मूर्तिशिल्प, मृण्मूर्ति, लघुचित्र कला, आधुनिक चित्र कला, पुरातात्विक वस्तु, मुद्राएं, अस्त्र और शस्त्र, वस्त्र, पाण्डुलिपि तथा फरमान आदि उल्लेखनीय हैं।
मूर्ति कला संग्रह में अशोक स्तम्भ शीर्ष (तीसरी शती ई. पूर्व) 58 भरहुत स्तूप के (दूसरी शती ई.पू.) कला शिल्प जिसमें जातक कथाओं के दृश्य है, स्तम्भ, बड़ेर, तोरण पूर्व कला शिल्प वीथिका में प्रदर्शित हैं। मध्य कालीन मूर्ति शिल्प अनुभाग में वैष्णव, शाक्त, शैव तथा जैन मूर्तियां सुन्दर एवं व्यवस्थित ढंग से प्रदर्शित हैं। यहाँ लघु चित्र कला एवं आधुनिक चित्र कला का समृद्धि संग्रह है। लघुचित्र कला में राजस्थानी, पहाड़ी, मुगल और कम्पनी शैली के चित्र हैं। आधुनिक कला वीथिका में अनागरिक गोविन्द और रुसी चित्रकार निकोलस और स्वेतोश्लाव रोरिक का महत्वपूर्ण स्थान है। बंगाल स्कूल संग्रह में असित कुमार हलदार, अवनिन्द्र नाथ टैगोर, गगनेन्द्र नाथ टैगोर, नन्दलाल घोष, जामिनी राय और सूधीर रंजन खस्तगीर के कृतियों पर इलाहाबाद संग्रहालय में अमूल्य संग्रह है। संग्रहालय में सुमित्रानन्दन पंत, महादेवी वर्मा, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, मैथिलीशरण गुप्त, रामकुमार वर्मा आदि साहित्यकारों की पाण्डुलिपियां एवं व्यक्तिगत पत्रों का महत्वपूर्ण संग्रह है। इलाहाबाद संग्रहालय के अस्त्र-शस्त्र संग्रह में दुर्लभ पिस्तौलें, राइफल, बन्दूकें, तलवारें तथा 18वीं-19वीं शती के कवच हैं। वस्त्र एवं साज-सज्जा संग्रह में सोने की जरी का काम और काष्ठ कला कृतियां उल्लेखनीय हैं।